स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला संघमित्रा मौर्य की निजी जिंदगी से जुड़ा हुआ है। लखनऊ निवासी पत्रकार दीपक स्वर्णकार की याचिका पर एमपी एमएलए कोर्ट के एसीजेएम तृतीय अंबारिश श्रीवास्तव की अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। संबंधित प्रकरण में दो बार जमानती वारंट जारी करने के बाद भी जब पिता- पुत्री अदालत में पेश नहीं हुए तो तीसरी बार न्यायालय में गैर जमानती वारंटी जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि वह और संघमित्रा वर्ष 2016 से लिव-इन में रह रहे थे तथा स्वामी प्रसाद और संघमित्रा मौर्य द्वारा उन्हें बताया गया कि उनसे मिलने के पहले ही उनका पहला पति से तलाक हो चुका है। वादी ने अपनी शिकायत में आगे कहा है कि उन्होंने 3 जनवरी 2019 को अपनी ‘कथित’ प्रेमिका से शादी की खानापूर्ति की और उसी साल लोकसभा चुनाव में वर्तमान बीजेपी सांसद ने खुद को अविवाहित बताया था, जोकि झूठ था। संघमित्रा का पहला पति से तलाक साल 2021 के मई महीने में में हुआ।
मामला सामने आने के बाद जब पत्रकार दीपक ने उनसे विधि विधान से विवाह की बात कही तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुंडों से कई बार उन पर जानलेवा हमले करवाए। इसी मामले की शिकायत दीपक स्वर्णकार ने लखनऊ के एमपी एमएलए कोर्ट में की थी।
पिता ने बनाई दूसरी पार्टी तो बीजेपी से टिकट ना मिलने पर मंच पर रोने लगी बेटी
एक तरफ जहां बीजेपी सांसद संघमित्रा को पार्टी ने इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरा है तो वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी में दाल ना गलने पर स्वामी प्रसाद ने राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के नाम से नई पार्टी बना ली है। नई पार्टी के गठन के बाद से उन्होंने स्वयं को कुशीनगर से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। बता दें की स्वामी प्रसाद मौर्य जब सपा का हिस्सा थे तो वह हिंदू धर्म ग्रंथो और ब्राह्मण समाज पर लगातार विवादित टिप्पणी कर रहे थे, जिसे लेकर यह कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी इन बयानबाजियों का खामियाजा उनकी बेटी को भुगतना पड़ सकता है।
बीजेपी ने भी बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य को ना उतारने का फैसला कर लिया और उनकी जगह दुर्विजय शाक्य को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस बीच बदायूं में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक जनसभा में मंच पर संघमित्रा मौर्य का रोते हुए वीडियो भी वायरल हुआ था, जिस पर कहा जा रहा था कि टिकट कटने को लेकर वह दुखी हैं। इस पर बदायूं सांसद ने स्वयं मीडिया में कहा कि वह प्रदेश सरकार में मंत्री गुलाबो देवी द्वारा कही जा रही रामायण के एक प्रसंग पर भावुक हो गई थीं और भारतीय जनता पार्टी से उनकी कोई खटपट नहीं है।